सुप्रीम कोर्ट कितने प्रकार के रिट जारी करता है?

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(A) दो
(B) तीन
(C) पांच
(D) छह

उत्तर- [3] पांच

व्याख्या : सुप्रीम कोर्ट के द्वारा पांच प्रकार की रिट जारी की जाती है। संविधान मोटे तौर पर पांच प्रकार के “विशेषाधिकार” रिट प्रदान करता है:

पांच प्रकार के रिट | Five Types Of Writs

  1. बन्दी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
  2. परमादेश (Mandamus)
  3. उत्प्रेषण (Certiorari)
  4. निषेधाज्ञा (Prohibition)
  5. अधिकार पृच्छा (Quo warranto)

देश में सर्वोच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत और मौलिक अधिकारों के अलावा अन्य अधिकारों के प्रवर्तन के लिए अनुच्छेद 139 के तहत रिट जारी कर सकता है, जबकि उच्च न्यायालय, राज्यों के उच्च न्यायालय, अनुच्छेद 226 के तहत रिट जारी कर सकता है।

भारत के नागरिकों के अधिकार की रक्षा हेतु सर्वोच्च न्यायालय अनुच्छेद 32 व उच्च न्यायालय अनुच्छेद 226 के तहत पांच प्रकार के रिट जारी कर सकता है. पांच प्रकार के रिट इस प्रकार है.

बन्दी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)

यह रिट न्यायालय को यह अधिकार देते हुए बंदी बनाए गए किसी व्यक्ति को अपने समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दे सकता है । न्यायालय बंदी बनाने वाले व्यक्ति को पूछ सकता है कि किस अधिकार से उसने उसे बंदी बनाया है और यदि न्यायालय कोई कानूनी औचित्य नहीं पता तो बंदी बनाए गए व्यक्ति को तुरंत रिहा कर सकता है ।

निम्न मामलों में रिट जारी नहीं की जा सकती ।

  1. यदि हिरासत में लिए गए व्यक्ति अथवा उस व्यक्ति के विरुद्ध जारी किया जा सकता है जो उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते।
  2. यदि किसी व्यक्ति को कानूनी अदालत ने मामले के दोषी पाया गया।
  3. व्यक्ति के विरुद्ध न्यायालय अथवा संसद की मानहानि की कार्रवाई चल रही है।

परमादेश (Mandamus)

यदि कोई व्यक्ति अथवा सार्वजनिक संस्थान भी नहीं करते हो की पूर्ति में करें तो न्यायालय उच्च गति और प्रशासन को अपने उत्तरदायित्व निभाने के लिए कह सकता है । इस प्रकार का लेख अदालतों अथवा न्यायिक संस्था द्वारा उत्तरदायित्व न निभाने पर भी जारी किया जा सकता है ।

प्रतिषेध (Prohibition)

यह रिट सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय द्वारा पद न्यायालय को तब दिया जाता है । जब अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर मामले की सुनवाई रहा हो । इसके अतिरिक्त प्रतिषेध रिट का प्रयोग तब भी किया जा सकता है  ।जब कोई अदालत अथवा न्यायाधिकरण किसी ऐसे कानून के अंतर्गत अधिकार क्षेत्र बढ़ाने का प्रयास करता है । जो संविधान द्वारा प्रदान किए गए अधिकार का उल्लंघन करता है ।

उत्प्रेषण (Certiorari)

  1. इस रिट का प्रयोग एक उच्च अदालत द्वारा अधीन अदालत के विरुद्ध के समय किया जाता है जब अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करता है । अथवा कानून की प्रक्रिया का समुचित पालन नहीं करता । उच्च न्यायालय अधीनस्थ न्यायालय को उसके संभोग चल रहे मुकदमे के सभी कागजात अपने पास भेजने का आदेश दे सकता है ताकि मुकदमा उसके पास जो सफेद तथा न्याय की प्रतिष्ठा स्थापित हो सके.
  2. यह रिट जब भी जारी की जा सकती है जब अदालत अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले मामलों पर कार्रवाई करती है परंतु कानूनी गलती करती है

अधिकार पृच्छा (Quo warranto):

  1. यह रिट न्यायालय द्वारा ऐसे व्यक्ति के प्रति जारी किया जाता है जिस जिस ने कानून के विरुद्ध अधिकार प्राप्त रखा है ।
  2. यह रिट तब भी जारी किया जा सकता है यदि वह व्यक्ति किसी ऐसे सार्वजनिक पद पर बैठा हो जो कानून अथवा संविधान द्वारा स्थापित किया गया है । यदि यह नियुक्ति कानून अथवा संविधान पर व्यक्त की गई हो तो भी जारी की जा सकती है। संक्षेप में सकते हैं कि यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी सार्वजनिक पद के किसी व्यक्ति के द्वारा हत्या लिया ना जाए । 

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