(1) मिट्टी के बर्तन
(2) मुद्राएँ
(3) नावें
(4) मकान
Ans : मुद्राएँ
सिंघु-सभ्यता का आर्थिक जीवन कृषि, पशुपालन, विभिन्न प्रकार के उद्योग-धंधों तथा व्यापार-वाणिज्य पर आश्रित था। सिंधु-सभ्यता का व्यापार वस्तु विनिमय पर आधारित था, क्योंकि उत्खननों से धातु के मुद्रा का प्रचलन का प्रमाण नहीं मिलता है। परंतु व्यापारियों की मुहरें होती थीं जिनका प्रयोग हुंडी के रूप में होता होगा। इससे व्यापारियों के एक सुगठित वर्ग की सहज ही कल्पना की जा सकती है। इसकी पुष्टि सिंधु-सभ्यता के बड़े-भूभाग में ढेर सारी मिट्टी की मुहरों, एकरूप लिपि और मानकीकृत माप-तौलों के अस्तित्व से भी होती है।
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