कैबिनेट मिशन की सिफारिश पर संविधान सभा का गठन किया गया था। संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी। तथा सच्चिदानंद सिन्हा संविधान सभा के अस्थाई अध्यक्ष चुने गए थे।
भारतीयों द्वारा स्वतंत्रता के साथ-साथ संवैधानिक व्यवस्था स्थापना की अनवरत मांग की गई थी। स्वशासन के साथ पूर्ण संवैधानिक उत्तरदायित्व पूर्ण शासन की स्थापना के संबंध में संविधान सभा के लिए निम्न प्रकार से पूर्व प्रयास किए गए
भारत में संविधान सभा के सिद्धांत का दर्शन सर्वप्रथम बाल गंगाधर तिलक के निर्देशन में 1895 के ‘स्वराज विधेयक‘ से होता है।गांधीजी ने 1922 में ‘हरिजन‘ समाचार पत्र में भारतीयों के लिए संविधान निर्माण के अधिकार की बात कही थी ।1924 में मोतीलाल नेहरू द्वारा ब्रिटिश सरकार के सम्मुख संविधान सभा के निर्माण की मांग प्रस्तुत की गई।
औपचारिक रूप से संविधान सभा के विचार का प्रतिपादन 1934 में समाजवादी विचारक एम.एन.रॉय ने दिया था जिसे कांग्रेस के 1936 के ‘लखनऊ अधिवेशन‘ व 1938 में नेहरू जी के ‘वयस्क मताधिकार संबंधी विचार ने मूर्त रूप दिया।
1940 के ‘अगस्त प्रस्ताव‘ से संविधान संविधान सभा की मांग को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार किया गया। वहीं 1942 के ‘क्रिप्स मिशन‘ ने इसे स्पष्ट स्वीकार व 1946 के ‘कैबिनेट मिशन‘ द्वारा इसे व्यवहारिक रूप प्रदान किया गया।
अतः यह स्पष्ट है कि भारतीयों की संविधान सभा की मांग उस निरंतर चिंतन प्रक्रिया का हिस्सा थी जिसने अंततः भारत को लोकोपरक, व्यवहारिक संविधान प्रदान किया।
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- किन हड़प्पाई स्थलों पर घोड़े के अवशेष प्राप्त हुए हैं
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