उत्तर-
अगर किसी व्यक्ति की कोई व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक रूप से इंटरनेट, सर्च, डेटाबेस, वेबसाइट या किसी अन्य सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हो और इस जानकारी को वो व्यक्ति इन सब जगहों से हटाना चाहता हो, तो जिस अधिकार से वो व्यक्ति इन जानकारियों को हटवाना चाहता है उसे ही ‘भूल जाने का अधिकार’ (Right to be Forgot) कहते हैं. यानी ‘भूल जाने का अधिकार’ (Right to be Forgot) व्यक्ति को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध अपनी व्यक्तिगत जानकारी को उस स्थिति में हटाने का अधिकार प्रदान करती है, जब यह जानकारी प्रासंगिक नहीं रह जाती.
मौजूदा वक्त में भारत में कोई ऐसा कानून नहीं है, जो भूल जाने के अधिकार (Right to be Forgot) को मान्यता प्रदान करता हो. हालांकि पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2019 में इस अधिकार का प्रावधान किया गया है. इस बिल की धारा 20 में कहा गया है कि किसी व्यक्ति को कुछ शर्तों के तहत् अपने व्यक्तिगत डेटा को हटवाने या रोकने का अधिकार है
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