(A) 7 जून 1955
(B) 17 जून 1956
(C) 17 जून 1955
(D) 7 जून 1957
Ans: (A) 7 जून 1955
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 344 में प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 7 जून 1955 को राज्य भाषा आयोग का गठन किया गया . प्रथम राज्य भाषा आयोग का अध्यक्ष बी.जी. खेर द्वारा की गई। हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में 14 सितंबर 1949 को स्वीकार किया । इसके बाद संविधान में 343 से 351 अनुच्छेद तक राजभाषा के संबंध में बताया जाए। 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाता है अनुच्छेद-343 के अनुसार संघ की राजभाषा हिन्दी तथा लिपि देवनागरी होगी।
प्रथम राजभाषा आयोग का गठन, 1955
सर्वप्रथम राजभाषा आयोग का गठन 1955 में किया गया । बी. जी. खेर उस समय राजभाषा आयोग के अध्यक्ष थे, उन्होंने 1956 में राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंपी । संयुक्त संसदीय समिति द्वारा रिपोर्ट पर विचर करने के उपरांत राष्ट्रपति ने 27 अप्रैल, 1969 को एक आदेश जारी किया, जो इस प्रकार है:
- वैज्ञानिक, प्रशासनिक एवं कानूनी साहित्य संबंधी हिंदी शब्दावली तैयार करने के लिए तथा अंग्रेजी कृतियों का हिंदी में अनुवाद करने के लिए एक स्थायी आयोग का गठन किया जाए ।
- संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं के माध्यम के रूप में अंग्रेजी का प्रयोग चलता रहे और बाद में वैकल्पिक माध्यम के रूप में हिंदी का प्रचलन प्रारंभ किया जाए ।
- संसदीय विधान कार्य अंग्रेजी में चलता रहेगा किंतु इसके प्रामाणिक हिंदी अनुवाद की व्यवस्था की जाए ।
राजभाषा अधिनियम, 1963
- संविधान के अनुच्छेद-343 के खण्ड (3) तथा प्रथम राजभाषा आयोग की रिपोर्ट के अनुसार संसद द्वारा राजभाषा अधिनियम, 1963 बनाया गया । इस अधिनियम के उपबंध इस प्रकार हैं:
- संघ के राजकीय प्रयोजनों तथा संसद में प्रयोग के लिए अंग्रेजी 15 वर्ष के बाद भी जारी रहेगी ।
- केन्द्रीय अधिनियमों, राष्ट्रपति के प्राधिकार से प्रकाशित राजपत्रों आदि का हिंदी अनुवाद उसका हिंदी में प्राधिकृत पाठ समझा जाएगा । राज्य सरकार के अधिनियमों तथा उस राज्य के राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित अध्यादेशों का हिंदी में अनुवाद हिंदी भाषा में उसका प्राधिकृत पाठ समझा जाएगा ।
- उच्च न्यायालयों के निर्णयों आदि के बारे में अधिनियम का प्रावधान है कि हिंदी या किसी अन्य राजभाषा का वैकल्पिक प्रयोग किया जा सकता है, यदि राज्यपाल राष्ट्रपति की पूर्ण सहमति प्राप्त कर ले और निर्णय आदि के साथ उसका अंग्रेजी अनुवाद भी हो ।
- संघ तथा अहिंदी भाषी राज्यों के बीच पत्रादि के प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी का ही प्रयोग होगा और यदि हिंदी तथा अहिंदी भाषी राज्यों के वीच पत्रादि के लिए हिंदी का प्रयोग किया जाये तो ऐसे पत्रादि के साथ उसका अंग्रेजी अनुवाद भी होना चाहिए ।
- इसके अतिरिक्त इस अधिनियम में यह व्यवस्था की गई है कि कुछ विशेष कार्यों यथा-प्रस्ताव, सामान्य आदेश, अधिसूचना, नियम, प्रेस विज्ञप्ति, प्रशासकीय रिपोर्ट, लाइसेंस, परमिट एवं समझौते इत्यादि में हिंदी और अंग्रेजी दोनों का प्रयोग अनिवार्य होगा ।
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