[1] समुद्रगुप्त
[2] बिन्दुसार
[3] चंद्रगुप्त
[4] अशोक
उत्तर: (3] चंद्रगुप्त
व्याख्या: चन्द्रगुप्त अपने जीवन के अन्तिम दिनों में जैन हो गया तथा भद्रबाहु की शिष्यता ग्रहण कर ली। उसके शासन काल के अन्त में मगध में बारह वर्षों का भीषण अकाल पड़ा। चन्द्रगुप्त ने अकाल की स्थिति से निपटने की पूरी कोशिश की किन्तु उसे सफलता नहीं मिली। परिणामस्वरूप वह अपने पुत्र के पक्ष में सिंहासन त्याग कर भद्रबाहु के साथ श्रवणवेलगोला (मैसूर) में तपस्या करने चला गया।
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