(a)राखालदास बनर्जी
(b) सर आरेल स्टाइन
(c) डी.आर. भण्डारकर
(d) एन.जी. मजूमदार
उत्तर: [a] राखालदास बनर्जी
व्याख्या:पाकिस्तान के हड़प्पा सिन्ध प्राप्त संस्कृति के लरकाना का महत्वपूर्ण जिले में स्थल स्थित है मोहनजोदड़ों। सर्वप्रथम यहाँ 1921-22 ई. में दो प्रसिद्ध पुरातत्वशास्त्रियों राखालदास बनर्जी तथा दयाराम साहनी ने हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ों के प्राचीन स्थलों से पुरावस्तुएँ प्राप्त करके यह सिद्ध कर दिया कि परस्पर 483 किमी. की केन्द्र दूरी थे। पर पिग्गट बसे महोदय हुए ये दोनों ने इन्हें ही नगर ‘एक विस्तृत कभी एक साम्राज्य ही सभ्यता की जुड़वा के दो राजधानियाँ’ कहा है। साहनी तथा बनर्जी के पश्च माधव स्वरूप वत्स ने क्रमशः मोहनजोदड़ों तथा हड़प्पा में कई वर्षों उत्खनन कराकर महत्वपूर्ण सामग्रियाँ प्राप्त किया। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य विद्वानों मार्टीमर ह्रीलर, के.एन. दीक्षित, अर्नेस्ट मैके, एन.जी. मजूमदार, आरेल स्टाइन आदि ने भी इस सभ्यता की खोज में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस पूरी सभ्यता को ‘सिन्धु नदी घाटी की सभ्यता’ अथवा इसके मुख्य स्थल हड़प्पा के नाम पर हड़प्पा की सभ्यता कहा जाता है।
- हड़प्पा संस्कृति के किस स्थल से कब्रिस्तान के प्रमाण नहीं मिले हैं
- मोहनजोदड़ो की प्रसिद्ध पशुपति मुहर पर देवता किन पशुओं से घिरा है
- हड़प्पा संस्कृति से जुड़ा पुरास्थल सुत्कागेनडोर किस नदी के तट पर स्थित है
- किन हड़प्पाई स्थलों पर घोड़े के अवशेष प्राप्त हुए हैं
- निम्नलिखित में से किन हड़प्पाई स्थलों पर घोड़े के अवशेष प्राप्त हुए हैं
- भारत का सबसे बड़ा हड़प्पन पुरास्थल है
- सुत्कागेनडोर किस नदी के तट पर स्थित है
- हड़प्पा संस्कृति के लोग लाजवर्द किस देश से प्राप्त करते थे
- हड़प्पा संस्कृति में किस प्रकार की मुहरें सर्वाधिक लोकप्रिय थीं
- निम्नलिखित में से किसकी पूजा हड़प्पा संस्कृति में नहीं होती थी