(a) वह पालिशदार कुल्हाड़ियों का प्रयोग करता था।
(b) वह कोर-उपकरणों का प्रयोग करता था।
(c) वह पशुपालक था।
(d) वह लघु पाषाण उपकरणों का प्रयोग करता था।
Ans: [b) वह कोर-उपकरणों का प्रयोग करता था।
व्याख्या: पाषाणयुगीन सभ्यता का विकास हिम-युग प्लीस्टोसीन काल में हुआ। भारत में पाषाणयुगीन मानव के मुख्य उद्योग लघु पाषाण उपकरण, शल्क उपकरण तथा हस्तकुठार तक ही सीमित थे। उपकरण बनाने में मुख्यतः क्वार्ट्ज अथवा स्फटिक का उपयोग किया गया है। ये पाषाण उपकरण सर्वप्रथम सोहन घाटी में पाये गये। अतः इन्हें ‘ सोहन संस्कृति के नाम से भी पुकारा जाता है। इस काल में मानव कोर-उपकरणों का प्रयोग करता था। वह न तो किसी धातु का प्रयोग करता था और न ही पशुपालक था, बल्कि जीवन यापन के लिए शिकार पर निर्भर था।
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