उत्तर– लोकनाट्य कला के वर्तमान स्वरूप की उत्पत्ति 15- 16 वीं सदी से मानी जाती है। परंपरागत लोकनाट्य कला सामाजिक नियमों, मान्यताओं और नीतियों सहित स्थानीय जीवन शैली के विभिन्न पहलओं को दर्शाती है।
लोकनाट्य कला का विकास ग्रामीण जीवन से जुड़े होने के कारण स्वत: ही होता रहता है। लौकिक विषय जो कि जन सामान्य के जन-जीवन से संबंधित (धार्मिक भी) होते हैं, को । स्वांग, ख्याल, नौटंकी, नाच एवं तमाशा जैसी शैलियों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है।
उत्तरी भारत के लोकनाट्यों में जहां गायन तथा संवाद शैली की प्रधानता है वहीं दक्षिण भारत में लोकनाट्यों में नृत्य की प्रधानता है।
- हड़प्पा संस्कृति के किस स्थल से कब्रिस्तान के प्रमाण नहीं मिले हैं
- मोहनजोदड़ो की प्रसिद्ध पशुपति मुहर पर देवता किन पशुओं से घिरा है
- हड़प्पा संस्कृति से जुड़ा पुरास्थल सुत्कागेनडोर किस नदी के तट पर स्थित है
- किन हड़प्पाई स्थलों पर घोड़े के अवशेष प्राप्त हुए हैं
- निम्नलिखित में से किन हड़प्पाई स्थलों पर घोड़े के अवशेष प्राप्त हुए हैं
- भारत का सबसे बड़ा हड़प्पन पुरास्थल है
- सुत्कागेनडोर किस नदी के तट पर स्थित है
- हड़प्पा संस्कृति के लोग लाजवर्द किस देश से प्राप्त करते थे
- हड़प्पा संस्कृति में किस प्रकार की मुहरें सर्वाधिक लोकप्रिय थीं
- निम्नलिखित में से किसकी पूजा हड़प्पा संस्कृति में नहीं होती थी