लोकनाट्य कला के बारे में आप क्या जानते हैं?

 

उत्तर– लोकनाट्य कला के वर्तमान स्वरूप की उत्पत्ति 15- 16 वीं सदी से मानी जाती है। परंपरागत लोकनाट्य कला सामाजिक नियमों, मान्यताओं और नीतियों सहित स्थानीय जीवन शैली के विभिन्न पहलओं को दर्शाती है।

लोकनाट्य कला का विकास ग्रामीण जीवन से जुड़े होने के कारण स्वत: ही होता रहता है। लौकिक विषय जो कि जन सामान्य के जन-जीवन से संबंधित (धार्मिक भी) होते हैं, को । स्वांग, ख्याल, नौटंकी, नाच एवं तमाशा जैसी शैलियों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है।

उत्तरी भारत के लोकनाट्यों में जहां गायन तथा संवाद शैली की प्रधानता है वहीं दक्षिण भारत में लोकनाट्यों में नृत्य की प्रधानता है।