[1] अभय मुद्रा
[2] ध्यान मुद्रा
[3] धर्मचक्र मुद्रा
[4] भूमिस्पर्शी मुद्रा
उत्तर: (3] धर्मचक्र मुद्रा
व्याख्या: संस्कृत में धर्मचक्र से तात्पर्य धर्म का चक्र ‘से है। यह शब्द भगवान बुद्ध के जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण क्षणों में से एक का प्रतीक है, यह पहला अवसर था जब उन्होंने ज्ञान प्राप्ति के बाद सारनाथ के हिरण्य उद्यान में अपने साथियों को प्रथम उपदेश दिया था। इस घटना को प्रायः धर्म उपदेश की चक्र गति को स्थिर करने अर्थात् धर्मचक्रप्रवर्तन के रूप में जाना जाता है।
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