उत्तर– भारत में मुस्लिम विजय के पश्चात 13वीं सदी के लगभग भारतीय संगीत (उत्तर भारतीय) शैली पर ईरानी एवं अरबी संगीत शैलियों का प्रभाव पड़ा। जिससे एक नवीन विशिष्ट आयाम युक्त ‘हिंदुस्तानी संगीत शैली’ का उद्भव हुआ।
भारतीय संगीत का परंपरागत एवं शुद्धतम रूप कर्नाटक संगीत शैली के रूप में विकसित होता रहा। यद्यपि हिंदुस्तानी संगीत शैली का आरंभ सल्तनत काल से हो गया था, किंतु 18वीं सदी में इसका रूप स्थिर हो गया।
संगीत की हिंदुस्तानी शैली संगीत संरचना और उसमें तात्कालिकता की संभावनाओं पर अधिक केंद्रित हैं। ध्रुपद, धमर, होरी, ख्याल, टप्पा, चतुरंग, रससागर, तराना, सरगम और ठमरी हिंदुस्तानी संगीत में गायन की शैलियां हैं।
- हड़प्पा संस्कृति के किस स्थल से कब्रिस्तान के प्रमाण नहीं मिले हैं
- मोहनजोदड़ो की प्रसिद्ध पशुपति मुहर पर देवता किन पशुओं से घिरा है
- हड़प्पा संस्कृति से जुड़ा पुरास्थल सुत्कागेनडोर किस नदी के तट पर स्थित है
- किन हड़प्पाई स्थलों पर घोड़े के अवशेष प्राप्त हुए हैं
- निम्नलिखित में से किन हड़प्पाई स्थलों पर घोड़े के अवशेष प्राप्त हुए हैं
- भारत का सबसे बड़ा हड़प्पन पुरास्थल है
- सुत्कागेनडोर किस नदी के तट पर स्थित है
- हड़प्पा संस्कृति के लोग लाजवर्द किस देश से प्राप्त करते थे
- हड़प्पा संस्कृति में किस प्रकार की मुहरें सर्वाधिक लोकप्रिय थीं
- निम्नलिखित में से किसकी पूजा हड़प्पा संस्कृति में नहीं होती थी