हड़प्पा सभ्यता की विशेषता | हड़प्पा सभ्यता की विशेषताओं का वर्णन कीजिए

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हड़प्पा सभ्यता की विशेषता इसका नगरीय स्वरूप। दूसरे शब्दों में यह भारतीय उपमहाद्वीप में पहली नगरीय क्रांति थी तथा इस सभ्यता के पतन के पश्चात लगभग 1000 वर्षों तक भारत में नगर नहीं देखा गया। फिर समकालीन नगरीय सभ्यता में इसे विशिष्ट बनाती है इसकी उन्नत नगर निर्माण योजना। अगर हम हड़प्पा नगरों पर दृष्टि डालते हैं तो हमें इसकी विशेषता स्पष्ट हो जाती है अगर गौर से देखा जाए तो प्रमुख नगरों के निर्माण में एकरूपता है। यद्यपि पूरी एकरूपता की परिकल्पना नहीं की जा सकती क्योंकि विभिन्न नगरों को भिन्न-भिन्न भौगोलिक तथा पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था।

हड़प्पा सभ्यता की विशेषता
हड़प्पा सभ्यता की विशेषता
  • हड़प्पा सभ्यता में नगर सुनियोजित थे। तथा नगरों में मकान जाल की तरह बताए गए थे।
  • हड़प्पा सभ्यता में सड़कें एक दूसरे को समकोण पर काटती थी । तथा नगर को आयताकार वर्गों में विभक्त करती थी।
  • मोहनजोदड़ो में प्राप्त सबसे बड़ी सड़क की चौड़ाई 10 मीटर थी।
  • इस सभ्यता के अंतर्गत अधिकांश नगर दुर्ग पर बनाए गए थे। जहां पर संभवत शासक वर्ग के लोग रहते थे।
  • दूर के निचले वाले स्थान पर ईंटों के मकानों वाला शहर बसाया था जहां पर सामान्य लोग रहते थे।
  • हड़प्पा सभ्यता में प्रत्येक भवन में स्नानागार और घर से गंदे पानी को निकालने के लिए नालियों का प्रबंध किया गया था।
  • भवन निर्माण में पक्की तथा कच्ची दोनों प्रकार की ईंटों का प्रयोग किया गया था ।
  • हड़प्पा संस्कृति के नागरिक भवन निर्माण के सजावट तथा बाहरी आवरण के विशेष प्रेमी नहीं थे। उनके भवनों में किसी भी विशेष अलंकरण नहीं दिखाई देता. ईंटों पर भी किसी तरह का अलंकरण प्राप्त नहीं होता था।
  • कालीबंगा की फर्ज एकमात्र अपवाद है जिसमें निर्माण में अलंकरण का प्रयोग किया गया था मोहनजोदड़ो से प्राप्त सबसे बड़ी 51.43 सेंटीमीटर * 26.27 सेंटीमीटर की थी
  • हड़प्पा सभ्यता के प्रकार तथा वृत्ताकार तथा अंडाकार थे। अधिकांश हुए .91 मीटर व्यास वाले थे।

हड़प्पा सभ्यता की विशेषता

सामान्यतः नगर दो भागों में विभाजित है दुर्ग क्षेत्र तथा निचला शहर। दुर्ग क्षेत्र में शासक वर्ग के लोग निवास करते थे तथा वहां कुछ महत्वपूर्ण भवनों का निर्माण हुआ था, वही निचला नगर एक रीहाईसी इलाका था। नगर चेस बोर्ड के आकार का बना हुआ था । मुख्य सड़कें एक दूसरे को समकोण पर काटती थी। सड़कों के किनारे मकान निर्मित थे जो 1 मंजिल से लेकर बहू मंजिल तक होते थे। हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना से हमें एक महत्वपूर्ण तत्व आकर्षित करता है वह है उन्नत जल प्रबंधन। जो यूनान के कनोसिस को छोड़कर अन्य समकालीन सभ्यता में दुर्लभ था।

प्रत्येक घर में एक कुआं होता था फिर ऊपरी मंजिल से नीचे गंदे पानी की निकासी के लिए ड्रेन पाइप का प्रयोग होता था। प्रत्येक घर से जल निकासी का बेहतर प्रबंधन था। घर की नाल गली की नाली से जुड़ी हुई थी और फिर गली की नाली मुख्य सड़क की नाली से जुड़ जाती थी। मुख्य नाली की सफाई के लिए मेनहोल की व्यवस्था की जाती थी।

हड़प्पा सभ्यता की विशेषता का वर्णन कीजिए

हड़प्पा सभ्यता का नगरीकरण विकसित वाणिज्य व्यवस्था पर आधारित था । यद्यपि इस सभ्यता से पूर्वी व्यापारिक गतिविधियां अज्ञात नहीं थी। अगर गौर से देखा जाए तो नवपाषाण कालीन स्थलों से भी वस्तुओं के लेनदेन के प्रमाण मिलते हैं। फिर आरंभिक हड़प्पा सभ्यता के अंतर्गत भी बलूचिस्तान के क्षेत्र का स्थल मार्ग के माध्यम से अफगानिस्तान एवं मध्य एशिया के क्षेत्रों से व्यापारिक संपर्क होने का प्रमाण मिलता है।

फिर भी हड़प्पा सभ्यता की विशेषता थी व्यापारिक गतिविधियों में गुणात्मक वृद्धि। यह सभ्यता एक विस्तृत व्यापारिक जाल से जुड़ी हुई सभ्यता थी। यह मुंदरी मार्गो से फारस की खाड़ी तथा पश्चिमी एशिया से जुड़ी हुई थी। इस प्रकार बाहरी रफ्तार में इसके सहयोगी क्षेत्र थे फारस की खाड़ी में फेल का एवं बहरीन, पश्चिमी एशिया में मेसोपोटामिया, अफगानिस्तान तथा मध्य एशिया के क्षेत्र।

हड़प्पा सभ्यता के विकास में व्यापार की कितनी अहम भूमिका थी यह भी इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कुछ ऐसे क्षेत्र में भी नगरों का निर्माण हुआ जो कृषि की दृष्टि से अत्याधिक पिछड़े हुए थे। इतना ही नहीं आगे जब वाणिज्य तथा व्यापार में किसी कारण से व्यवधान उत्पन्न हो गया तो फिर नगरीय संरचना का पतन हो गया।

हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषता

हड़प्पा सभ्यता की एक विशेषताएं थी नगर एवं गांव के बीच उन्नत तालमेल तथा संतुलन। नगरों का अस्तित्व ग्रामीण क्षेत्र में होने वाले अधिशेष पर टिका हुआ था । नगरीय जनसंख्या की आवश्यकता कृषि, उत्पादों के माध्यम से पूरी होती थी। शासक वर्गों के द्वारा संभवत करारोपण के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्र में अधिशेष का हस्तांतरण होता था।

फिर हड़प्पा सभ्यता की उन्नत नगर निर्माण योजना एक सक्षम शासक वर्ग की उपस्थिति को भी दर्शाती है।  सड़कों तथा गलियों की बनावट, जल प्रबंधन, मानक माप तोल एवं ईटों का निर्माण यह सिद्ध करता है कि वहां एक सक्षम शासन व्यवस्था स्थापित थी।  किंतु यह आज भी विवाद का विषय है कि हड़प्पा सभ्यता के अंतर्गत सरकार का स्वरूप क्या था? यह एक साम्राज्य था अथवा कई छोटे-छोटे राज्यों का समूह था? जब तक हड़प्पा लिपि नहीं पढ़ी जाती तब तक इस पर अंतिम रूप से कुछ भी कहना संभव नहीं है।  फिर भी इस संबंध में कई प्रकार की संभावनाएं  आती है उदाहरण के लिए यह एक बड़ा साम्राज्य था जो सैन्य विजय के माध्यम से संभव हुआ अथवा दूसरी तरफ ऐसा भी संभव है किए कई राज्यों का समूह था जो भौतिक विकास के एक ही स्तर पर अवस्थित थे जैसा कि हम महाजनपद काल में 16 महाजनपदों को देखते हैं।  उसी तरह दुर्ग क्षेत्र की उपस्थिति राज्य की उपस्थिति की ओर संकेत करती है।  किंतु साथ ही हम प्रशासन में शिल्पीओं एवं व्यापारियों की भूमिका को स्वीकार नहीं कर सकते

सिंधु घाटी सभ्यता प्रमुख विशेषताएं

हड़प्पा सभ्यता की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी तकनीकी विकास एवं  शिल्पो की विविधता।  यह किसी भी नगरीय सभ्यता का आवश्यक लक्षण होता है।  हड़प्पा के लोग इस रूप में भी विशिष्ट थे कि उन्होंने तांबे एवं Tin को मिलाकर  कांसा का निर्माण करना सीख लिया था।  अर्थात उनको धातु  ढलाई का ज्ञान था।

विकास मूर्तियों के निर्माण में  मॉम विधि का प्रयोग करते थे । रथ एवं एक का गाड़ी का निर्माण भी हड़पपाई लोगों के तकनीक ज्ञान को दर्शाता है।  उनके द्वारा  बनाए गए पत्थर के उपकरण भी पहले के उपकरणों की तुलना में बेहतर थे क्योंकि अब तांबे एवं कहां से के उपकरणों की सहायता से पत्थर को काटना और तराशना  आसान हो गया था।  लोथल एवं चन्हूदरो  से मनका बनाने के कारखाने मिले थे।

हड़प्पा सभ्यता को एक पूर्वर्ती एवं परवर्ती संस्कृति से विशिष्ट बनाने वाला एक कारक उनका वैज्ञानिक एवं नक्षत्रों का ज्ञान था।  हड़प्पा लोग  धातु ढलाई से परिचित थे।  उन्हें संभवत  ग्रह हों तथा नक्षत्रों का ज्ञान था।  उन्होंने गणना प्रणाली का विकास कर लिया था।  वे सोलवे एवं उनके गुण का प्रयोग करना जानते थे।  उसी प्रकार गणना से ऊपरी स्तर  पर दशमलव प्रणाली तथा निचले स्तर पर  विभाजन प्रणाली का प्रयोग करते थे।  वे संभवत फिट एवं क्यूबिक के प्रयोग से भी परिचित थे।  उनकी नगर मान योजना ज्यामिति के ज्ञान को दर्शाती है।  ईटों के निर्माण से भी समिति के ज्ञान की सूचना मिलती है ।  उसी प्रकार उन्होंने अपनी एक पृथक लिपि का विकास कर लिया था।  सिंधु लिपि विश्व की 4 प्राचीनतम लिपियों में से एक थी।

सिंधु सभ्यता की एक विशेषता मानी जा सकती है इसके सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधता और फिर यह विविधता नगरी जीवन के अनुकूल थी।  उदाहरण के लिए हड़प्पा नगरों में विभिन्न  सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोग मौजूद थे वजह की मृतक संस्कार पद्धति उपासना पद्धति तथा देवताओं के स्वरूप में भी विविधता देखी जा सकती है ।  दूसरे शब्दों में, मृतक संस्कार के रूप में पूर्ण समाधि करण, आंशिक समाधि करण तथा  दाह संस्कार सबो का प्रचलन था।  उसी प्रकार कहीं अग्नि पूजा का प्रचलन था तो कहीं जल पूजा का, कहीं से नाग पूजा का साक्षी मिलता है तो कहीं और से स्वास्तिक पूजा का.

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