(a) पूर्व पाषाण काल से
(b) नव पाषाण काल से
(c) ताम्र पाषाण काल से
(d) लौह काल से
Ans: [d) लौह काल से
व्याख्या: दक्षिण भारत में पाषाण युग के बाद दक्कन के पठार तथा सुदूर प्रायद्वीप में महापाषाण संस्कृति का उदय हुआ। यह संस्कृति एक हद तक भारत के पूर्वी मध्य तथा उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में भी पाई जाती है किन्तु दक्षिणी भारत के संदर्भ में इसका विशेष महत्व है। महापाषाणीय संस्कृति की ऐतिहासिक महत्व की दो विशेषताएं हैं- (1) इसका लौह युग से अविरल रूप से जुड़ा होना तथा (2) काले एवं लाल मृदभाण्डों के आविर्भाव से संयुक्त होना।
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