[1] त्रिरत्न
[2] त्रिवर्ग
[3] त्रिसर्ग
[4] त्रिमूर्ति
उत्तर: (1] त्रिरत्न
व्याख्या: बौद्ध धर्म में बुद्ध, संघ और धर्म तीन रत्न (त्रिरत्न) माने जाते हैं। बौद्ध धर्म के अनुसार बुद्ध के स्वरूप पर चित्त को केन्द्रित करने से मनुष्य के मन में वितृष्णा और स्थिरता आती है, संघ के प्रभाव से साधक में विश्वास और उत्साह का उदय होता है और धर्म के सेवन से उसके आत्मिक बल की वृद्धि होती है। गौतम बुद्ध ने संघ को सर्वाधिक महत्व दिया।
- हड़प्पा संस्कृति के किस स्थल से कब्रिस्तान के प्रमाण नहीं मिले हैं
- मोहनजोदड़ो की प्रसिद्ध पशुपति मुहर पर देवता किन पशुओं से घिरा है
- हड़प्पा संस्कृति से जुड़ा पुरास्थल सुत्कागेनडोर किस नदी के तट पर स्थित है
- किन हड़प्पाई स्थलों पर घोड़े के अवशेष प्राप्त हुए हैं
- निम्नलिखित में से किन हड़प्पाई स्थलों पर घोड़े के अवशेष प्राप्त हुए हैं
- भारत का सबसे बड़ा हड़प्पन पुरास्थल है
- सुत्कागेनडोर किस नदी के तट पर स्थित है
- हड़प्पा संस्कृति के लोग लाजवर्द किस देश से प्राप्त करते थे
- हड़प्पा संस्कृति में किस प्रकार की मुहरें सर्वाधिक लोकप्रिय थीं
- निम्नलिखित में से किसकी पूजा हड़प्पा संस्कृति में नहीं होती थी