भारत में दिए जाने वाले विभिन्न पुरस्कार

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भारत में दिए जाने वाले विभिन्न पुरस्कार

भारत रत्न सम्मान

भारत ने अनन्त काल से बहादुरी की अनेक गाथाओं को जन्म दिया है। संभवतः उनके बलिदानों को मापने का कोई पैमाना नहीं है, यद्यपि हम उन लोगों से भी अपनी आंखें फेर नहीं सकते जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त कर हमारे देश का गौरव बढ़ाया है और हमें अंतर्राष्ट्रीय मान्यता दिलाई है। भारत रत्न हमारे देश का उच्चतम नागरिक सम्मान है, जो कला, साहित्य और विज्ञान के क्षेत्र में असाधारण सेवा के लिए तथा उच्चतम स्तर की लोक सेवा को मान्यता देने के लिए प्रदान किया जाता है।

इसे पुरस्कार के रूप में दिए जाने वाले सम्मान की मूल विशिष्ट में 35 मिलीमीटर व्यास वाला गोलाकार स्वर्ण पदक, जिस पर सूर्य और ऊपर हिंदी भाषा में ‘भारत रत्न’ तथा नीचे एक फूलों का गुलदस्ता बना होता है पीछे की ओर शासकीय संकेत और आदर्श वाक्य लिखा होता है। इसे सफेद फीते में डालकर गले में पहनाया जाता है। एक वर्ष बाद इस डिजाइन को बदल दिया गया था।

भारत रत्न पुरस्कार की परम्परा 1954 में शुरू हुई थी। सबसे पहला पुरस्कार प्रसिद्ध वैज्ञानिक चंद्र शेखर वेंकटरमन को दिया गया था। तब से अनेक विशिष्ट जनों को अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता पाने के लिए यह पुरस्कार प्रस्तुत किया गया है। वास्तव में हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम को भी यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया गया है (1997)। इसका कोई लिखित प्रावधान नहीं है कि भारत रत्न केवल भारतीय नागरिकों को ही दिया जाए। यह पुरस्कार स्वाभाविक रूप से भारतीय नागरिक बन चुकी एग्नेस गोखा बोजाखियू, जिन्हें हम मदर टेरेसा के नाम से जानते हैं और दो अन्य गैर भारतीय खान अब्दुल गफ्फार खान और नेल्सन मंडेला (1990) को भी दिया गया है। यह भी अनिवार्य नहीं है कि भारत रत्न सम्मान हर वर्ष दिया जाए। वर्ष 2019 में 46 वाँ, 47 वाँ और 48 वाँ भारत रत्न सम्मान क्रमव्यः प्रणव मुखर्जी, भूपेन हजारिका और नाना जी देशमुख को दिया गया। परम वीर चक्र (पीवीसी) -परम वीर चक्र सैन्य सेवा तथा उससे जुड़े हुए लोगों को दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च वीरता सम्मान है। यह पदक शत्रु के सामने अद्वितीय साहस तथा परम शूरता का परिचय देने पर दिया  जाता है। 26 जनवरी, 1950 से शुरू किया गया यह पदक मरणोपरांत भी दिया जाता है।

  • शाब्दिक तौर पर परम वीर चक्र का अर्थ है ‘वीरता का चक्र’। संस्कृत के शब्द ‘परम’, ‘वीर’ एवं ‘चक्र’ से मिलकर यह शब्द बना है।
  • यदि कोई परम वीर चक्र विजेता दोबारा शौर्यता का परिचय देता है और उसे परम वीर चक्र के लिए चुना जाता है तो इस स्थिति में उसका पहला चक्र निरस्त करके उसे रिबैंड दिया जाता है। इसके बाद हर बहादुरी पर उसके रिबैंड बार की संख्या बढ़ाई जाती है। इस प्रक्रिया को मरणोपरांत भी किया जाता है। प्रत्येक रिबैंड बार पर इंद्र के वज्र की प्रतिकृति बनी होती है तथा इसे रिबैंड के साथ ही लगाया जाता है।
  • परम वीर चक्र को अमेरिका के सम्मान पदक तथा यूनाइटेड किंगडम के विक्टोरिया क्रॉस के बराबर का दर्जा हासिल है। फ्लाईंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखो यह प्रतिष्ठित सम्मान पाने वालों में से एक हैं। उन्हें 1971 में मरणोपरांत परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया। वे भारतीय वायु सेना के एकमात्र ऐसे ऑफिसर हैं जिन्हें परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया है।

पद्म सम्मान

पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री नामक पद्म पुरस्कार शासकीय सेवकों द्वारा प्रदत्त सेवा सहित किसी भी क्षेत्र में असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए प्रदान किए जाते हैं। पद्म पुरस्कारों की सिफारिशें राज्य सरकारों संघ राज्य प्रशासनों, केन्द्रीय मंत्रालयों विभागों, उत्कृष्टता संस्थानों आदि से प्राप्त की जाती है, जिन पर पुरस्कार समिति द्वारा विचार किया जाता है। पुरस्कार समिति की सिफारिश के आधार पर और प्रधानमंत्री, गृहमंत्री तथा राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इन पदम सम्मानों की घोषणा की जाती है।

शूरवीरता सम्मान

बहादुरी और शौर्य की प्रशंसा की कला नवीन नहीं है। ये राष्ट्र के स्थायित्व का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनाते हैं। इतिहास में शौर्यता को आदर और प्रशंसा के रूप में परिभाषित किया गया है। हमारी लोक कथाओं में भी बहादुरी को मान्यता देने की संकल्पना स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। महाभारत में धर्म के कारण एक सूरमा के रूप में मरने का गौरव स्वर्ग का सबसे आसान रास्ता माना गया। वास्तव में, युद्ध के मैदान में किसी भी प्रकार की मौत को गौरवशाली माना गया था। चाहे यह एक राजवंश के नियुक्त प्रमुख की बात हो, या शहीदों। बहादुर आत्मओं के सम्मान में बनाए गए स्मारक हो या उन्हें दी गयी उपाधियां, सम्मान के स्तंभ, नकद पुरस्कार या पदक आदि, बहादुरी को मान्यता देना एक अत्यंत प्रतिष्ठित कार्य रहा है। भारत में ब्रिटिश राज की समाप्ति के साथ ब्रिटिश सम्मानों और पुरस्कारों की पुरानी संस्था का अंत हुआ। स्वतंत्र भारत में परमवीर चक्र, महावीर चक्र, अशोक चक्र, शौर्य चक्र आदि सम्मान आरंभ किए गए।

  • अशोक चक्र-अशोक चक्र की श्रृंखला नागरिकों के लिए भी खुली है। राज्य सरकारों संघ राज्य प्रशासनों और केन्द्रीय सरकार के मंत्रालयों विभागों से प्राप्त नागरिकों के संदर्भ में सिफारिशों पर रक्षा मंत्रालय द्वारा केन्द्रीय सम्मानों पर विचार किया जाता है और रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में गठित पुरस्कार दो वर्ष में एक बार दिए जाते हैं और इनकी घोषणा गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर की जाती है।

शौर्य चक्र

यह शौर्यता पुरस्कार दुश्मन का सामना करने से अलग परिस्थिति में दिया जाता है। यह पुरस्कार नागरिकों अथवा सेना कर्मियों को दिया जा सकता है तथा यह मृत्यु उपरांत भी दिया जा सकता

बहादुरी सम्मान

  • बच्चों की असाधारण बहादुरी और नि: स्वार्थ त्याग को मान्यता और सम्मान देने के लिए भारतीय बाल कल्याण परिषद् (आईसीसीडब्ल्यू) द्वारा 1957 में राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार देना आरंभ किया गया था। प्रत्येक वर्ष आईसीसीडब्ल्यू द्वारा 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों को पुरस्कार दिए जाते हैं।
  • इन पुरस्कारों के लिए केन्द्रीय राज्य सरकार के विभागों, जिला परिषदों, पंचायतों, विद्यालय प्राधिकरणों तथा बाल कल्याण संघ राज्य क्षेत्र परिषदों में आवेदन स्वीकार किए जाते हैं।
  • आईसीसीडब्ल्यू द्वारा गठित एक समिति द्वारा चयन किया जाता है, जिसमें राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के सचिवालयों के प्रतिनिधियों और केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड, पुलिस ऑल इंडिया रेडियो, दूरदर्शन तथा प्रख्यात गैर-सरकारी संगठनों जैसे राष्ट्रीय बाल भवन, एसओएस, चिल्ड्रेन्स विलेजेज ऑफ इंडिया, आर. के. मिशन और अनुभवी आईसीसीडब्ल्यू सदस्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
  • इन पुरस्कारों की घोषणा बाल दिवस, 14 नवंबर को की जाती है और प्रधानमंत्री द्वारा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर दिए जाते हैं। विजेताओं को एक पदक, प्रमाणपत्र और उनके असाधारण साहस के लिए सांकेतिक रूप में नकद राशि प्रदान की जाती है।
  • इसके अतिरिक्त, कुछ बच्चों को अपने पढ़ाई पूरी करने के लिए वित्तीय सहायता (आईसीसीडब्ल्यू का प्रयोजित कार्यक्रम) और चिकित्सा तथा अभियांत्रिकी जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में (इंदिरा गांधी छात्रवृत्ति योजना के तहत) सहायता दी जाती है। कुछ बच्चों को स्नातक स्तर तक पढ़ाई जारी करने के लिए भी सहायता दी जाती है।
  • जीवन रक्षा पदक पुरस्कार श्रृंखला-जीवन रक्षा पदक पुरस्कार श्रृंखला के तहत उन्हें सम्मानित किया जाता है, जिन्होंने बचावकर्ता के रूप में जीवन के खतरे और शरीर की चोटों को गंभीर जोखिम के बीच आग की लपटों से, खान के अंदर बचाव कार्यों आदि से जीवन बचाने में माननीय स्वभाव की गतिविधि या अनेक गतिविधियां प्रदर्शित की। जीवन रक्षक पदक श्रृंखला के पुरस्कार प्रदान करने की सिफारिश राज्य सरकार संघ राज्य प्रशासन और भारत सरकार के मंत्रालयों विभागों की ओर से की जाती है।

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