उत्तर: बौद्ध ग्रंथों में सबसे महत्वपूर्ण त्रिपिटक (शाब्दिक अर्थ टोकरी) है,जो ‘पालि भाषा में लिखे गये थे। पिटकों में ‘विनयपिटक’ में संघ सम्बन्धी नियम एवं आचार शास्त्र की शिक्षा दी गयी है। ‘सुतपिटक‘ में धार्मिक सिद्धान्त व बुद्ध के धर्मोपदेश दिए गए हैं। ‘अभिधम्मपिटक‘ में बौद्ध दर्शन सिद्धान्त की व्याख्या की गई है।
‘निकाय ग्रंथों में बौद्ध धर्म के सिद्धान्त व कहानियों का संग्रह दिया गया है। ‘जातक कथाओं’ में बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथाएँ दी गयी है जो उसमें देवत्व की स्थापना करते हैं। इनके अतिरिक्त दीपवंश, महावंश ,मिलिन्दपन्होआदि पालि भाषा के प्रसिद्ध ग्रंथ हैं। बौद्धों के साहित्य में संस्कृत का प्रयोग कुषाण काल में हुआ और संस्कृत में बौद्ध साहित्य की रचना की गयी।
संस्कृत बौद्ध साहित्य की प्रमुख रचनाएं अनलिखित है- महावस्तु, कथावस्तु, ललितविस्तार, दिव्यावदान व अश्वघोष की रचनाएँ-सारिपुत्रप्रकरण, सौनदरानन्द, बुद्धचरित आदि ।
- हड़प्पा संस्कृति के किस स्थल से कब्रिस्तान के प्रमाण नहीं मिले हैं
- मोहनजोदड़ो की प्रसिद्ध पशुपति मुहर पर देवता किन पशुओं से घिरा है
- हड़प्पा संस्कृति से जुड़ा पुरास्थल सुत्कागेनडोर किस नदी के तट पर स्थित है
- किन हड़प्पाई स्थलों पर घोड़े के अवशेष प्राप्त हुए हैं
- निम्नलिखित में से किन हड़प्पाई स्थलों पर घोड़े के अवशेष प्राप्त हुए हैं
- भारत का सबसे बड़ा हड़प्पन पुरास्थल है
- सुत्कागेनडोर किस नदी के तट पर स्थित है
- हड़प्पा संस्कृति के लोग लाजवर्द किस देश से प्राप्त करते थे
- हड़प्पा संस्कृति में किस प्रकार की मुहरें सर्वाधिक लोकप्रिय थीं
- निम्नलिखित में से किसकी पूजा हड़प्पा संस्कृति में नहीं होती थी