Ans: विशिष्टाद्वैतवाद का प्रतिपादन रामानुजाचार्य ने किया. रामानुजाचार्य (1017- 1137 ई.) वेदांत शिक्षा, रहस्यवादी एवं भक्तिमार्गी आलवार संतो के अतिरिक्त दक्षिण के पंचरात्र परम्परा से प्रभावित थे। रामानुज सगुण ईश्वर में विश्वास करते थे तथा भक्ति मार्ग को मोक्ष का साधन मानते थे। इन्होंने ‘विशिष्टाद्वैत दर्शन ‘का प्रतिपादन किया तथा वैष्णव धर्म को एक दार्शनिक आधार प्रदान किया। रामानुज का ‘विशिष्टाद्वैत’ दर्शन शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन के विरुद्ध प्रतिक्रिया थी। रामानुज के अनुसार ब्रह्मा ,जीव तथा जगत तीनों में एक विशिष्ट संबंध है तथा तीनों सत्य है। रामानुज ईश्वर में व्यक्तित्व की प्रधानता को स्वीकार करते थे। रामानुजाचार्य का सम्प्रदाय ‘श्री वैष्णव ‘ सम्प्रदाय कहलाता है। वैष्णव आचार्यों में प्रमुख रामानुजाचार्य की शिष्य परम्परा में ही रामानन्द हुए जिनके शिष्य कबीर, रैदास और सूरदास थे।
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