उत्तर- स्थायी बंदोबस्त भू-राजस्व व्यवस्था में विभिन्न दोष थे। जिनके दूरगामी परिणाम देखने को मिले। इससे जमींदारों का किसान पर शोषण बढ़ा , भूमि की नीलामी के कारण भूमि ‘उपसामंतीकरण’ होने लगा, सूर्यास्त के नियम के कारण दूरवासी या अनुपस्थित जमींदारी का उदय हुआ, कृषकों की स्थिति अब ‘कृषक दास’जैसी हो गई थी।
जमींदारों को इस व्यवस्था से सर्वाधिक लाभ हुआ क्योंकि इसके माध्यम से भूमि पर उनका वास्तविक स्वामित्व स्वीकार कर लिया गया तथा भू-स्वामित्व परंपरागत हो गया। अंग्रेजों को जमींदारों के रूप में एक सामाजिक मित्र मिल गया। जिसका अंग्रेजों से सहजीवी संबंध बन गया, कालांतर में यह वर्ग अंग्रेजों के विरुद्ध हुए विद्रोह हो से भी पृथक रहा।
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