किसी भी देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए संविधान की आवश्यकता पड़ती है। संविधान, कानूनों का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। जो सरकार की मूल संरचना और इसके कार्यों को निर्धारित करता है। जिसके अनुसार देश का शासन चलता है। प्रत्येक सरकार संविधान के अनुसार कार्य करती है। संविधान देश के अन्य सभी कानूनों से श्रेष्ठ होता है। यह सर्वोच्च कानून है। जो सरकार के अंगों तथा नागरिकों के आधारभूत अधिकारों को परिभाषित तथा सीमांकित करता है।
संविधान लिखित नियमों की ऐसी किताब है। जिसे किसी देश में रहने वाले सभी लोग सामूहिक रूप से मानते हैं संविधान से किसी क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों के बीच के आपसी संबंध तय होने के साथ-साथ लोगों और सरकार के बीच भी संबंध तय होते हैं संविधान अनेक कार्य हैं जिनमें प्रमुख इस प्रकार है।
- यह साथ रहे रहे विभिन्न तरह के लोगों के बीच जरूरी भरोसे तथा सहयोग विकसित करता है।
- संविधान स्पष्ट करता है। कि सरकार का गठन कैसे होगा तथा किसे फैसले लेने का अधिकार है।
- यह सरकार के अधिकारों को सीमा तय करता है। तथा हमें बताता है। कि नागरिकों के अधिकार क्या क्या है।
- यह अच्छे समाज के गठन के लिए लोगों की आकांक्षाओं को व्यक्त करता है।
संविधान का अर्थ
- संविधान स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति करता है प्रत्येक स्वतंत्र देश अपना संविधान बनाता है।
- संविधान सरकार के मूलभूत ढांचे को निश्चित करता है। यह सरकार के मुख्य अंग विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका की व्यवस्था करता है। संविधान ने केवल प्रत्येक अंग के अधिकार को परिभाषित करता है बल्कि उनके उत्तरदायित्व भी सुनिश्चित करता है यह तीन अंगों के मध्य पारस्परिक संबंध तथा इसका जनता से संबंध स्थापित करता है। संक्षेप में संविधान एक कानूनी किताब है जिसे के अनुसार किसी भी देश की सरकार कार्य करती है।
- संविधान में लिखित कानून जी ने आधारभूत कानून भी कहा जाता है। जिनके आधार पर किसी देश के प्रशासन हेतु नियम तथा भी नियम बनाए जाते हैं।
संविधान और लोकतांत्रिक सरकार
- भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में संविधान का महत्व और भी अधिक है लोकतंत्र में सरकार के क्रियाकलापों में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से नागरिक अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हैं ।यह ऐसी सरकार होती है जिसमें सरकार की शक्ति स्पष्ट रूप से परिभाषित रहती है लोकतांत्रिक सरकार में नागरिकों के अधिकार का भी स्पष्ट विवरण दिया जाता है सरकार तथा नागरिकों की गतिविधियों की सीमाएं किस प्रकार निर्धारित की जाए यह संविधान के द्वारा निश्चित किया जाता है।
- इस प्रकार हम देखते हैं कि संविधान एक आलेख मात्र नहीं है अपितु यह क्रियाशील संस्थाओं की आवश्यकताओं, अपेक्षाओं तथा आकांक्षाओं के साथ निरंतर विकसित होता रहता है।
- प्रत्येक संविधान की सार्थकता तथा विषय वस्तु उसके क्रियान्वयन के तरीके तथा उसे क्रियान्वित करने वाले व्यक्ति पर निर्भर है इस प्रकार संविधान एक जीवित आलेख है।
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किसी भी देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए संविधान की आवश्यकता होती है.
संविधान, किसी देश की राजव्यवस्था के मूल सिद्धांतों का प्रतिपादन करता है। संविधान राज्य की विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की स्थापना, उनकी शक्तियों का तथा दायित्व का सीमांकन करता है। प्रत्येक संविधान, उस देश के आदर्शों, उद्देश्यों व मूल्यों का दर्पण होता है। संविधान स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति करता है। यह नागरिकों के मूलभूत अधिकारों की रक्षा करने का उपबंध प्रदान करता है। प्रत्येक देश के संविधान का निर्माण वहां की विशेष परिस्थितियों को सम्मुख रखकर किया जाता है तथा प्रत्येक देश के इतिहास उसके सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक तथ्य संविधान के निर्माण को अवश्य प्रभावित करते हैं।
संविधान यह स्पष्ट करता है कि समाज में निर्णय लेने की शक्ति किसके पास होगी और सरकार का गठन कैसे होगा? संविधान राज्य के निर्माण और सरकार का आधार होता है। यह सरकार द्वारा नागरिकों पर लागू किए जाने वाले कानूनों की सीमा तय करता है। यह सरकार की शक्तियों को भी सीमित करता है।